Tuesday, January 3, 2012

SAY " I LOVE YOU " IN 111 LANGUAGE .

1.English - I love you

2.Afrikaans - Ek het jou lief

3.Albanian - Te dua

4.Arabic - Ana behibak (to male)

5.Arabic - Ana behibek (to female)

6.Armenian - Yes kez sirumen

7.Bambara - M'bi fe

8.Bengali - Ami tomake bhalobashi (pronounced: Amee toe-ma-kee bhalo-bashee)

9.Belarusian - Ya tabe kahayu

10.Bisaya - Nahigugma ako kanimo

11.Bulgarian - Obicham te

12.Cambodian - Soro lahn nhee ah

13.Cantonese Chinese - Ngo oiy ney a

14.Catalan - T'estimo

15.Cherokee - Tsi ge yu i

16.Cheyenne - Ne mohotatse

17.Chichewa - Ndimakukonda

18.orsican - Ti tengu caru (to male)

19.Creol - Mi aime jou

20.Croatian - Volim te

21.Czech - Miluji te

22.Danish - Jeg Elsker Dig

23.Dutch - Ik hou van jou

24.Elvish - Amin mela lle (from The Lord of The Rings, by J.R.R. Tolkien)

25.Esperanto - Mi amas vin

26.Estonian - Ma armastan sind

27.Ethiopian - Afgreki'

28.Faroese - Eg elski teg

29.Farsi - Doset daram

30.Filipino - Mahal kita

31.Finnish - Mina rakastan sinua

32.French - Je t'aime, Je t'adore

33.Frisian - Ik hâld fan dy

34.Gaelic - Ta gra agam ort

35.Georgian - Mikvarhar

36.German - Ich liebe dich

37.Greek - S'agapo

38.Gujarati - Hoo thunay prem karoo choo

39.Hiligaynon - Palangga ko ikaw

40.Hawaiian - Aloha Au Ia'oe

41.Hebrew - Ani ohevet otekh (to female)

42.Hebrew - Ani ohev otkha (to male)

43.Hiligaynon - Guina higugma ko ikaw

44.Hindi - Hum Tumhe Pyar Karte hae

45.Hmong - Kuv hlub koj

46.Hopi - Nu' umi unangwa'ta

47.Hungarian - Szeretlek

48.Icelandic - Eg elska tig

49.Ilonggo - Palangga ko ikaw

50.Indonesian - Saya cinta padamu

51.Inuit - Negligevapse

52.Irish - Taim i' ngra leat

53.Italian - Ti amo

54.Japanese - Ainutseru

55.Kannada - Naanu ninna preetisuttene

56.Kapampangan - Kaluguran daka

57.Kiswahili - Nakupenda

58.Konkani - Tu magel moga cho

59.Korean - Sarang Heyo

60.Latin - Te amo

61.Latvian - Es tevi miilu

62.Lebanese - Bahibak

63.Lithuanian - Tave myliu

64.Luxembourgeois - Ech hun dech gäer

65.Macedonian - Te Sakam

66.Malay - Saya cintakan mu / Aku cinta padamu

67.Malayalam - Njan Ninne Premikunnu

68.Mandarin Chinese - Wo ai ni

69.Marathi - Me tula prem karto

70.Mohawk - Kanbhik

71.Moroccan - Ana moajaba bik

72.Nahuatl - Ni mits neki

73.Navaho - Ayor anosh'ni

74.Norwegian - Jeg Elsker Deg

75.Pandacan - Syota na kita!!

76.Pangasinan - Inaru Taka

77.Papiamento - Mi ta stimabo

78.Persian - Doo-set daaram

79.Pig Latin - Iay ovlay ouyay

80.Polish - Kocham Ciebie

81.Portuguese - Eu te amo

82.Romanian - Te iubesc

83.Russian - Ya tebya liubliu

84.Scot Gaelic - Tha gradh agam ort

85.Serbian - Volim te

86.Setswana - Ke a go rata

87.Sign Language - ,,,/ (represents position of fingers when signing'I Love You')

88.Sindhi - Maa tokhe pyar kendo ahyan

89.Sioux - Techihhila

90.Slovak - Lu'bim ta

91.Slovenian - Ljubim te

92.Spanish - Te quiero / Te amo

93.Swahili - Ninapenda wewe

94.Swedish - Jag alskar dig

95.Swiss-German - Ich lieb Di

96.Surinam - Mi lobi joe

97.Tagalog -Mahal kita

98.Taiwanese - Wa ga ei li

99.Tahitian - Ua Here Vau Ia Oe

100.Tamil - Nan unnai kathalikaraen

101.Telugu - Nenu ninnu premistunnanu

102.Thai - Chan rak khun (to male)

103.Thai - Phom rak khun (to female)

104.Turkish - Seni Seviyorum

105.Ukrainian - Ya tebe kahayu

106.Urdu - mai aap say pyaar karta hoo

107.Vietnamese - Anh ye^u em (to female)

108.Vietnamese - Em ye^u anh (to male)

109.Welsh - 'Rwy'n dy garu di

110.Yiddish - Ikh hob dikh

111.Yoruba - Mo ni fe !! :P

CA ANTHEM- EK JUNUN THA...

A CA Anthem... A Real Attitude to be a CA...
Thats whole about what is CA.
It's high result video with best sound quality .
Each CA Student must have to see once....


A CA Anthem with ICAI MOTTO .....


Just One Click Away...
CA Anthem- Ek Junun Tha

CA KOLAVARI.....

yo CA Students i am singing song:-
soup song
flop song

why this CAdegree CAdegree CAdegree di
why this CAdegree CAdegree CAdegree di

rhythm correct

why this CAdegree CAdegree CAdegree di


maintain please



why this CAdegree CAdegree CAdegree di

distance la office-u office-u
office-u staff-u good-u
good nature client-u client-u
client-u business-u jhol-u


why this CAdegree CAdegree CAdegree di
why this CAdegree CAdegree CAdegree di


white skin-u boss-u boss-u
boss-u intention-u black-u
eyes-u eyes-u on audit-u audit-u
my future question mark-u.


why this CAdegree CAdegree CAdeg
ree di
why this CAdegree CAdegree CAdegree di

Classes notes jama karo
Apneliye shyam ko snacks dhundo
pa pa paan pa pa paan pa pa
paa
pa pa paan
sariya vaasi
super maama ready


ready 1 2 3 4


whaa wat a take over maama
ok maama now audit
change-u
kaila pen
only english..
hand la pen
pen la green
eyes-u full-aa tear-u
college- life-u
CA-u come-u
life reverse gear-u
lovvu lovvu
no time 4 lovvu
you showed me CARO-u
CARO-u CARO-u only CARO-u


i want to quit CA now-u
god i m dying now-u
my boss is happy how-u
this song for CA boys-u
we dont have choice-u
why this CAdegree CAdegree CAdegree di

SEX AND INDIA !




SEX AND INDIA – TODAY & REAL HISTORY!


·        What is Sex Today , What is in Real ?

·        TRUE FACTS ABOUT SEX IN HINDU SANSKRUTI .


                       आज भारत मे सेक्स कि भुख और सुग दोनो है ! लोग सेक्स कि बात आते हि मुह और नाक चडा लेते है । लोगो को सेक्स पसंद भी है और विरोध भी करते है ! एक बडी अजायब बात है , हिंदुस्तान मै SEX EDUCATION की बात हो या PREMARITAL SEX (SEX BEFORE MARRIAGE) की – बावा मुल्लाओ की जमात को अपने अभिप्रायो का कडछा फेराने मे विकृत आनंद आता है । उन कि ईबादत और भक्ति मे से तुरंत हि उन का ध्यान एसी कोई सेक्सी तसवीर, फिल्म, जाहेरात, कोमेन्ट पे चला जाता है । लगता है कि ब्रह्मचारी बावाओ और जडबुध्धि मुल्लाओ को पुरे देश को वो जैसे जिते है वेसे जिये एसा बना देने कि तीव्रईछ्छा है । यदि बात समाज और देश के हित कि हि होति है तो आपने कभि कीसी धर्मगुरु को भारतभर के रस्तो पे पडते खड्डो पर क्रोधित होते हुए देखा है ? कभि कोई पुज्य वंदनीयश्री को शिक्षण का नख्खोद काढनेवाली परिक्षा पध्धति के सामने रस्ते पे आनंदोलन करके मोरचा काढने की हांकल की है ?? धर्म के विषय मे कोई नाक घुसाये तो उसे चमचामंडळ द्वारा तुरंत कहा जाता है कि – “ यह आपका विषय नहि है, आपके पास इसका उंडाण (पुरा ज्ञान) नहि है। ” तो फिर सेक्स, टी.वी., फिल्म, के उपर अभिप्राय देने कि खुजली धार्मिक लोगो को क्युं होती है ?? यह उनका विषय है ???

                       यदि प्रि-मेरिटल सेक्स से भारतीय संस्क्रुति कि पवित्रता को लांछन लग जायेगा एसा मानते हो तो जानलो कि प्रि-मेरिटल सेक्स भारत देश के नाम के साथ जुडा है । भारत का नाम शाकंतला पुत्र भरत पर से रखा गया है । ॠषिपुत्री शाकुंतला और राजा दुष्यंत ने अधिकृत नहि एसे गांधर्व विवाह ( जिसमे नर , नारी और ईश्वर के अलावा किसी चोथे पात्र कि जरुर नहि होती, जो सिर्फ प्यार और सेक्स करने के लिये किये जाते है ।) करके हि देहसंबंध बांधा था । वोही सबंध का फल – राजकुमार भरत ! हरएक लग्नपुर्वे के या बाद के सहशयन परस्पर संमति से प्रवृत होते स्त्री पुरुष मनोमन एक-दुसरे का स्वीकार करके ‘तनोतन’ आगे बढते है ।

                       भगवद गीता और महाभारत के रचयिता – वेदव्यास, जिसके ‘नियोग‌’* से खुद पांडु और धृतराष्ट्र का वंश आगे बढा । वेदव्यासजी भी मुनि पराशर और मत्स्यगंधा के लग्नपुर्वे के देहसबंधो का संतान थे । ये बात जगजाहेर है । और ये बात जानते हुए भी हस्तिनापुर नरेश शांतनु ने खुशी खुशी वोही स्त्री – मत्स्यगंधा को बेहिचक अपनी राणी बनाई । फीर शांतनु राजा को कोई संतान नही होता है इसलिये वंश आगे बढाने के लिये अपनी तीनो राणीयों को अपने छोटे भाई – विचित्र विर्य से संभोग करवाता है । विचित्रविर्य सन्यांसी थे , उन्होने संसार और हस्तिनापुर दोनो हि छोड दिया था । पहली राणी संभोग करते वक्त अपनी आंखे बंध कर लेती है इसलिये वो उसे श्राप देते है की तेरा पुत्र अंधा पेदा होगा- धृतराष्ट्र । दुसरी राणी बहुत अछ्छी तरह से संभोग कर पाती है तो उसे आर्शिवाद मीलता है कि तेरा पुत्र सबसे ज्यादा बुध्धिशाळी होगा और वो हस्तिनापुर पे राज करेगा- पांडु राजा । सबसे छोटी तिसरी राणी ने डर के मारे अपनी दासी को भेज दिया इसलिये विदुरजी दासीपुत्र कहे जाते है।

                       आज भारत मे सब “सेफ सेक्स” यानि “मेरेज सेक्स” एसा समज रहे है । ठीक से समजीये, बात सेक्स की है, अन्डर ऐज मेरेज की और टीनएज प्रेगनन्सी की नही है । बाललग्नो लफरे रोकने का उपाय नहि है , वो तो लग्नेतर लफरे बढाने का कुआ है । एक दुसरी बात भी क्लीयर कट समजनी पडेगी- कानुन और सरकार लग्न कि उमंर और नोंधणी के नियमो तय कर सकती है, सेक्स के नही !! हम टीनएजर्स को “सेफ सेक्स” के बारे मे समजाने के बदले “नो सेक्स” के बुम बराडा पाड रहे है । हम भुखे को कभी भी उपवास का महिमा नहि समजा सकते और ना हि वो समज सकता है । भुख संतोषने बाद हि हम उपवास का महिमा समजा सकते है , वैसा हि शारीरिक-भुख मे है । लग्न मानवसमाज और मानव संस्क्रुति की शोध है । सेक्स मानव की नहि , पर मानव के सर्जनहार की शोध है । मानव लग्न की उमंर तय कर सकता है पर सेक्स कि उमंर स्वंय प्रकृति तय करती है । पुरुष उत्थान अनुभवे और स्त्री रजःस्वला हुए यानी कुदरत की नजर मे वो सेक्सलायक हो गये । यह सुरज का पुर्व दिशा मे उगना और पच्छिम दिशा मे अस्त होने जेसी सनातन हकिकत है । इतनी चर्चा पर से सिधी बात यह तय होती है कि सेक्स को मेरेज के साथ कोइ सबंध हि नहि है । यदि मेरेज के बाद हि सेक्स कर सको एसा है तो फिर भगवान ने मानव शरिर कि रचना मे सेक्स की उमंर और मेरेज कि उमंर एक क्युं नही रखी ? सेक्स सिर्फ बच्चे पेदा करने के लिये हि होता तो भगवान ने इन्सान की प्रजनन पध्धती प्राणीयों या कुत्तो जेसि ना रखी होति ?? जेसे कुत्तो को साल मे एक हि महिना – भादरवा मे सेक्स की इ्छ्छा होती है वो भी सिर्फ बच्चे पेदा करने के लिये । इसितरह इदि इन्सान मे भि सेक्स केवल बच्चे पेदा करने के लिये होता तो भगवान ने कोइ एक महीना तय (फिक्स) कर दिया ना होता ?

                       यदि सेक्स खराब है तो भारत मे हि वात्सायन का “कामसुत्र” क्युं लिखा गया ? कामसुत्र के अलावा सेक्स पर और पांच ग्रंथ है, ज्योतिरीश्वर कृत पंचसायक, पह्मश्रीग्यान कृत नागरसर्वस्व, जयदेव कृत रतिमंजरी, कोक्कोक कृत रतिरहस्य, कल्याण्मल्ल कृत अनंगरंगभगवान बुध्ध ने भी अठ्ठकवग मे (सुत्र क्रमांक १) कामसुत्र का उपदेश दिया है । उतना ही नहि बल्की वात्सायन के इस कामसुत्र मे ग्रुप सेक्स , ओरल सेक्स , एक से ज्यदा व्यक्तियों के साथ सेक्स आदि, इन सबको सेक्स कि उत्तम पध्धतियां बताई गई है । कामसुत्र मे हि सेक्स करने की अलग अलग 64 कला पध्धति है । लेस्बिअन और गे रिलेशन कोई आज कल के नहि है, कामसुत्र मे भी उन लोगो के लिये अलग अलग आसनो, पध्धतियों है । सबुत के दौर पर यहा निचे कामसुत्र के हि कुछ फोटे रखे है ।

               1 man with more female.                              2. 1 female with more males.





सेक्स सिर्फ एक शारिरीक जरुरियात है जिसका शादि के साथ कोइ तालुक नहि है । प्राचिन काल मे लोग बिना शादि किये हि जो अछ्छा लगे उसके साथ मजा करने के लिये और अपनी वासना शांत करने के लिये बिना सिकोच एकदुसरे को पुछकर एकदुसरे कि संमति से सेक्स करते थे और शादि के बाद भि यदि दोनो मे से कोई एक य दोनो असंतुष्ट रहते हो तो वो किसि तीसरे के साथ सेक्स करते थे । प्राचिन काल मे सेक्स सिर्फ एक व्यक्ति तक हि सिमित नहि था । उस वक्त शादि के पहले भाई-बहन , पितराइ (कजिनस), मित्रो के बिच सेक्स सबंध बाधां जाता था । सेक्स एनंजोय्मेन्ट और ग्रुप सेक्स के लिये  पत्निया पतियो कि और पतियो पत्नियो कि निसंकोच अदला बदलि करते थे । भाई बहन , कझीन्स , दोनो (सिर्फ लडका नहि) एक दुसरे को निसंकोच सामने से सेक्स के लिये ओफर करते थे , यदि दोनो को मंजुर हो तो करते थे वरना कोई ओर नया पात्र ढुंढते थे । और इसीलिये प्राचीन काल मे बलात्कार जेसी हीन, धृणास्पद घटनाओ आकार लेती ही नही थी ! प्राचीन भारत की समाज रचना ही कुछ इस तरह से की गई थी की कीसिकी भी वासना अतृप्त नही रहती थी। यदी जैसे उपर बताय उसतरह से मीत्र से, पीतराइ भाई बहन या कोई संबंधी से वासना तृप्त ना हो तो समाज मे गणिकालय (वैश्या) की रचना की गई थी और गणिकाओ को समाज मे स्नमान से देखा जाता था और समाज मे  एक इज्जतदार सन्मानीय दरज्जा (स्थान) दीया गया था !

                           आज भी भारत के कुछ आदीवासी प्रजाति और आदिवासी विस्तार मे आगे उपर चर्चा की वेसी ही प्राचिन समाज रचना उपल्बध है ! जीसकी वजह से आज भी उन विस्तरों मे बालत्कार जेसी हीन घटना का प्रमाण निःशेष है या है ही नहि ! इसका जीवंत उदाहरण मध्यप्रदेश के जंगल मे बसती अबुजमारा मुरीयस प्रजाति है ! यह प्रजाति की संस्कृति मे सेक्स को भी भुख और उंघ की तरह ही एक प्रकृति का प्राक्रुत्विक तत्व और जरुरियात माना जाता है ! लडके – लडकीयां की उम्र 12 साल की होते ही उनको सेक्स कि शिक्षा दी जाती है ! वो इसी उमर से सेक्स एजोंय करना शुरु कर देते है ! युवान होते ही हर लडका- लडकी अपनी पंसंद के करीब करीब सभी विजातीय पात्र के साथ सेक्स करते है और फिर उनमे से किसी एक को अपना जीवनसाथी बनाते है ! एसी समाज रचना की वजह से शादी के दिन दुल्हन कुवांरी नही होती और दुल्हा बिअनुभवी नही होता ! उनका समाज आधुनिका टेकनोलोजी से दुर रहकर भी बहुत ही खुश है ! यह तो बात हुई सिर्फ मध्यप्रदेश के अबुजमारा मुरीयस प्रजाति की , परंतु एसी तो कहीसारी प्रजातीयां है जिन्होने आज भी अपनी पुरानी महान संस्कृती और समाज रचना दोनो ही बचाके रखा है !

                            भारत के ईतिहास मे सन 950 से सन 1150 तक का समयगाळा परिवर्तन का रहा । हर संस्कृति मे एसा एक परिवर्तन चक्र आता है जो कुछ अछ्छे परिवर्तन करते हे और कुछ बुरी असर भी छोड जाते है । हर परिवर्तन की दो असर और दो परिणाम होते है – पोझिटीव और नेगेटीव । भारत मे हुए परिवर्तन की नेगेटीव असर की बात करनी है । उस वक्त समाज मे साधु संतो की बहुत हि प्रभावी असर थी क्युंकी परिवर्तन कि शुरुआत हि उन्होने की थी । उन साधुओ मे भी दो जुथ पड गये थे – एक जुथ जो सेक्स का कट्टर विरोधी था, और दुसरा जो सेक्स की हकिकतो तो परिवर्तीत करने से विरुध्ध थे । मानवी के मन पे हमेंशा नेगेटीव बाते ज्यदा असर करती है और नेगेटीव बातो का बहुत आसानी से और जल्दी स्वीकार कर लेता है । उस वक्त भी यही हुआ । जो लोग सेक्स के कट्टर विरोधी थे उनका लोगो पे बहुत भारी प्रभाव रहा । वो जुथ वालो ने सेक्स को बहुत हि बुरी तरह से रजु किया । लोगो के मन मे ठांस दिया की सेक्स पाप हे । लोगो मे एसी अंधश्रध्धा फेलाई गई की सेक्स करने वाले को नरक मे स्थान मिलता है और उसे वहा सजा काटनी पडेगी । सेक्स सिर्फ पाप है । उस जुथ वालो उस वक्त सिर्फ और सिर्फ वैराग्य, सन्यांस और ब्रह्मचर्य को हि महत्व दीया था । लोगो मे एसी दृढ मान्यता हो गई थी की सेक्स सिर्फ और सिर्फ बच्चे पेदा करने के लिये हि करने चाहिये और बच्चे होने के बाद ब्रह्मचर्य पालना चाहीये । सेक्स करने से नरक मे जाना पडता है । नरक और नरक की सजाओ से लोगो इतनी हद तक डर गये थे की लोगो मे सेक्स सिर्फ पाप है एसी मान्यता घर कर गयी थी और सेक्स धृणास्पद हो गया था । यदि सेक्स सिर्फ बच्चे पेदा करने के लिये हि होता तो इश्वर ने सेक्स को इतन मनोरंजक , आनंददायक, रोचक क्युं बनाया ? ह्युमन बोडी मे सेक्स के लिये स्पेशियल ग्रंथिया क्युं है ? परिवर्तन के यही समय मे बने खजुराहो के शिव मंदिर कि एक अजायब कहानी है ।
                    
                            खजुराहो का शिवमंदिर मध्यकाल (दशवी शताब्दी) मे बांधा गया था ।  काशी के राजपंडित की पुत्री हेमवती अपूर्व सौंदर्य की स्वामिनी थी। हेमवती विधवा थी और एक बच्चे की मां थी । एक दिन वह गर्मियों की रात में कमल-पुष्पों से भरे हुए तालाब में स्नान कर रही थी। उसकी सुंदरता देखकर भगवान चन्द्र उन पर मोहित हो गए। वे मानव रूप धारणकर धरती पर गए और हेमवती का मनहरण कर लिया । हेमवती भी चन्द्र देव पर मोहित हो गए । फिर चन्द्र और हेमवती के बिच मैथुन संबंध बंध गया । विधवा होने के कारन हेमवती की वासना अतृप्त थी इसलिये वो तृप्त होना जरुरी था । चन्द्र देव के जरिये अपनी संभोग कि कामवासना तृप्त की । हेमवती इस बात से अनजान थी की वो जीस से प्रेम करती है वो मानव रुप मे स्वंय चन्द्र देव है । ईस संबंध के दोरान हेमवती गर्भवती (प्रेग्नेट) हुई । चन्द्र देव हेमवती से शादि नहि कर सकते थे इसलिये सच बात बता देते है । समाज मे आये परिवर्तन की वजह से समाज ने हेमवती का बहिष्कार किया , अपमान किया । हेमवती समाज से डर कर आत्महत्या करने का सोचती है । भगवान शिव और चन्द्र स्वंय हेमवती को समजाते है की उसने कुछ गलत नहि किया । देहवासना तृप्त करना हर मानवी का अधिकार है । शादि के पहले और विधवा होने के बाद संभोग करना कोई पाप नही है , और इससे बच्चा होता है तो उसकि जवाबदारी निभानी चाहिये । संभोग और बच्चा होना पाप नहि है पर देहवासना को अतृप्त रखकर देह पर हिंसा करना पाप है , बच्चा होने के बाद उसको त्याग देना, अनाथ बनाना, मार डालना, जवाबदारी से निकल जाना पाप है । इतना समजाने के बाद शिव हेमवती को काशी छोडकर खजुरापुर जाने को बोलते है और वरदान देते है कि तेरा बेटा एकदिन महान राजा बनेगा । हेमवती अपने दोनो बच्चो को ले कर मध्यप्रदेश मे खजुरपुरा आ गई । चन्द्र से पेदा हुआ बेटा का नाम चन्द्रवर्मन था जो उसके पिता कि तरह तेजस्वी , बहादुर , शक्तिशाळि था । वो शंकर भगवान का परम भक्त था । उसे अपने पिता के बारे मे पता नहि था । एक दिन भगवान शिव ने चन्द्रवर्मन के सपने मे आकर सबकुछ बताया और कहा की समाज काम , संभोग से दुर जा रहा है और सिर्फ वैराग्य का महत्व हद से बढ रहा है । समाज के लोगो को फिर से संभोग की और लाने के लिये तुम लोगो मे जागृति फेलाओ , मेरा और कामदेव के मंदिर बनाओ और उन मंदिर द्वारा कामशाश्त्र का ज्ञान फेलाओ । भगवान शिव कि प्रेरणा से चन्द्रवर्मन ने खजुरापुर मे भगवान शिव का मंदिर बनाया जीसकी हरएक दिवार पे कामसुत्र कि संभोग के अलग अलग आसनो कि मुर्तियां कंडारी गई है ।



खजुराहो जैसे तो कीतने सारे मंदिर है भारत मे ! उन सब मंदिरो के बारे मे तो नहि लीख सकते पर दक्षीण भारत के मंदिरो की थोडी बात करनी है । दक्षीण भारत के सभी मंदिरो मे गोपुरम का खास महत्व है । सभी मंदिरो के शिखर भाग जिसे गोपुरम कहा जाता है उन भाग मे संख्याबंध मुर्तिओ का अदभुत नकशी काम किया गया है ! गोपुरम के उपर ज्यादातर ग्रामिण जनजीवन की मुर्तियां कंडारी गई है ! ये मुर्तिया मानवी कि रोजींदी प्रवृति रजु करती है और इन रोजींदी प्रव्रुतियों मे सेक्स का भी समावेश कीया गया है ! गोपुरम कि वो नयनरम्य मुर्तियां मानव जीवन मे सेक्स का महत्व समजाती है !
 
  • गोपुरम के नयनरम्य मुर्तियों मे से दो मुर्तियों के फोटो

                      संस्क्रुति कि शुरुआत हि सेक्स से होती है ! हिन्दु संस्क्रुति ऐसि एक मात्र संस्क्रुति है जिसके पास सेक्स के लिये भी देव है – कामदेव ! ‘काम’ संस्क्रुत शब्द है जिसका मतलब संभोग और सेक्स होता है ! भारतीय संस्कृति का उद्देश और आधार स्तंभ – धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष है । प्राचीन समय मे सेक्स को भगवान को खुश करने का एक झरिया माना जाता था ! सेक्स हि एक एसी क्रिया है जिसमे इन्सान संपुर्ण एकलीन होत है , एकध्यान हो जाता है , और कुछ खयाल हि नहि आते उस वक्त । सेक्स की पुजा होती थी । जो आज भी हो रही है ! आप सबने “ कामेश्र्वर महादेव ” का नाम सुना होगा और कही मंदीरे भी देखे होगे ! “ कामेश्र्वर महादेव ” = काम + ईश्वर + महादेव  , मतलब कि जो काम (सेक्स) के इश्वर है ! सेक्स संपुर्ण पवित्र है , सेक्स कि पुजा करने के लिये कामेश्र्वर महादेव की पुजा की जाती है ! आप सब लोग शिवलींग की पुजा के बारे में जानते ही होगे और करते भी होगे ! जानते हो शिवलींग की पुजा क्युं की जाती है ? भगवान शिव काम की उर्जा का स्त्रोत है ! भगवान शिव ने माता पार्वती को कामज्ञान समजा रहे थे , काम का जीवन मे मह्त्व समजा रहे थे और संभोग के जुदे जुदे आसनो की चर्चा कर रहे थे तब भगवान शिव का सेवक नंदी यह सब सुन रहा था और फिर जब शिवजी को ये पता चला तो उन्होने नंदी को आदेश दिया की उसने जो कुछ भी सुना वो पृथ्वीलोक पर जाकर मुनी वात्सायन को सुनाए ताकी मुनी वात्सायन भगवान शिव का यह संदेश तमाम मानवी तक पहुचा दे ! नंदी के पास से यह कामज्ञान सुन कर वात्सायन मुनी ने महादेव से प्राथन की कि वो यह महान ग्रंथ का निर्माण करने से पहले पुजा करना चाहते है तो कीस देव की पुजा करे ? तब नंदी ने बताया की यह ग्रंथ लिखने के लिये आपको भगवान शिव के हि एक एवतार और शिव के शरिर के हि एक भाग एसे कामदेव और शिवजि के लिंग की पुजा करनी चहिये । और फिर शिवजी के संदेश को मानवगण तक पहुचने के लिये मुनी वात्सायन ने “ कामसुत्र ” नाम का ग्रंथ लिखा ! तब से आज तक शरीर की उर्जा के लिये और कामउर्जा , सुखी कामजीवन के लिये शिवलींग कि पुजा की जाती है ! ओशो ने अपनी एक बुक- “संभोग से समाधि तक” मे लिखा है कि बिना संभोग समाधि लगान या साधना करन नामुन्किन है । वो लिखते है कि मेरा सेक्स प्रिय भारत सेक्स सुगिया केसे हो गया वो मुजे समज हि नहि आता । बिना भोग विलास ,त्याग का महिमा कभि नहि समज आता, वो मुम्किन हि नहि है ।

                        भारत मे वर्तमान समय मे बिना शादि सेक्स को पाप गीना जाता है और बहुत हि ध्रुणास्पद नजर से देखा जाता है । पर हिंदु संस्क्रुति का ईतिहास कुछ अलग हि बोलता है । हिंदु संस्क्रुति मे सेक्स कीतना पवित्र माना जाता था उसके लीये संस्क्रुति के हि कुछ उदाहरणे देता हु ।

१.    
                                                       इन्डियन मायथोलोजि मे एक रोमान्स, एक्श्न से भरपुर लवस्टोरी है । यह प्रसंग शिवपुराण का है -  बाणासुर नाम का शिवभक्त सम्राट । बाणासुर वामन भगवान के तिसरे पगले के लिये अपना सिर धर देनार बलीराजा का वंशज था ( जिसके नाम पर से राखिबंधन को “ बळेव ” कहा जाता है ) । बाणासुर ने कार्तिकेय को खेलते देखकर “ मुजे भी आपका पुत्र बनाऍ। ” एसी प्राथना की । भगवान शिव ने प्रसन्न होकर बाणासुर की राजधानी शोणितपुर का सरंक्षण का काम संभाला । कार्तिकेय ने अपना मयुरध्वज बाणासुर को दिया । बाणासुर की पुत्री “ उषा ” तो शिवपार्वती के पास ही रहने लगी । विष्णुपुराण और हरिवंश के मुताबीक शिवपार्वती की उत्कुंट प्रण्यक्रीडाए देखकर उषा उत्तेजीत हुइ । उषा को “ कामज्वर ” ( वाह !! प्राचिन भारत मे “ Being Horny ” के लिये भी कितना सुंदर शब्द था । ) लागु हुआ । पार्वती को उषा की हालत समजा गइ तो उन्होने उषा के लायक वर ढुंढने का वचन दिया । पार्वतीजी के संकेत से उषा ने श्री क्रुष्ण के पौत्र ( क्रुष्ण के पुत्र प्रध्युम्न का पुत्र ) अनीरुध्ध को स्वप्न मे देखा । और स्वप्न मे ही एसा उन्मादक रस रच गया की हरीवंश मे स्पष्ट लिखे अनुसार वो “ EROTIC DREAM ” की वजह से उषा का कोमार्यपटल ( Virginity Seal ) भंग हो गया । उषा कि सखी चित्रलेखा ने वो चित्र (To Draw) दिया । और एक मित्र कि तरह अनिरुध्ध तक LOVE MESSANGER का ROLE अदा किया । अनिरुध्ध भी उषा को देख के प्रेम मे पडा , और महिनो तक मैथुनरास (सेक्स) करने के लिये उषा के हि महल मे गुपचुप आने लगा । महिनो बाद जब बाणासुर को यह बात पता चली तो उसने अनिरुध्ध को केद किया । अनिरुध्ध को बचाने के लिये श्री क्रुष्ण ने बाणासुर से युध्ध किया । बाणासुर को बचाने के लिये बाणासुर की माता कोटरा ने निवस्त्र अवस्था मे युध्धभुमी मे आकर क्रुष्ण को अमान्या (Female Respect) मे डाल कर अपने बेटे का जिव बचा लिया । ईस पुरे प्रसंग मे श्री क्रुष्ण ने उषा और अनिरुध्ध के बिना शादी संभोग (सेक्स) को पुर्ण पवित्र , योग्य कहा है । कुष्ण बताते है कि वासनातृप्ती के लिये शुध्ध भाव से यदि नर नारी दोनो कि मंजुरी से संभोग किया जाये तो इसमे कोई पाप नहि है , फिर उन दोनो के बिच कोइ सबंध हो या ना हो ।

२.   
                                                                              दुसरा प्रसंग कृष्ण्पुराण का है । यह प्रसंग कृष्ण्पुराण , हरीवंश और कृष्णः पुर्ण पुरुषोतम परमेश्र्वर ये तीनो ग्रंथो मे है । ‘कृष्ण्पुराण’ , ‘हरीवंश’ दोनो राष्ट्रीय स्तरपे और ‘कृष्णः पुर्ण पुरुषोतम परमेश्र्वर’ आंतरराष्ट्रीय स्तरपे श्री कृष्ण की व्याख्या और जीवन-दर्शन के लीये स्वीकारे गये है । यह प्रसंग वृन्दावन मे श्री कृष्ण और गोकुल की गोपीयों के बीच हुए वार्तालाप का एक अंश है ।

श्री कृष्ण – आज मे आप सब को कामज्ञान कहुंगा, आप उसका ध्यान से श्रवण करे । जेसे आत्माशांति के लिये प्राथना जरुरी है, शरीर चलाने के लिये खोराक जरुरी है उसी तरह संभोग भी एक शारीरीक भुख है । यह देहवासना को तृप्त करना उतना हि जरुरी है जितना जीने के लिये खाना और आत्मा के लिये प्राथना जरुरी है । जब कभी भी वासना जागृत हो , तब संभोग करो । वासना को अतृप्त रखना एक पाप है । मन मारकर संभोग न करके आप मनहिंसा और देहहिंसा करते हो । आप अपने पति से संतुष्ट नहि होते हो तो उसे बतओ और फिर भी असंतुष्ट रहते हो तो कीसी दुसरे पात्र से अपनी वासना संतुष्ट करो । और जो कुवांरीकाए है वो अपने जानपहचान वाले नर, अपने पुरुष सखा, प्रेमी आदी के साथ संभोग करके अपनी वासना संतुष्ट कर सकते है । पर कुंवारीकाए ध्यान राखे की गर्भवती ना हो । संभोग करना और गर्भवती होना कोई पाप नहि है पर बच्चे को जन्म दे कर उसको त्याग देना, मार डालना, अनाथ बना देना आदि पाप है । शुध्ध मन से किया गया संभोग पवित्र है । मन मे कोइ हिन भावना या विकार नहि होना चाहिये ।
[ कृष्ण एसा समजाते है तभी कुब्जा अपनी परेशानी बताती है । कुब्जा एक बहुत हि कदरुपी गोपी थी । कुब्जा की पीठ पे दो खुंध (कूबड़ेवाली, पीठ पे दुसरी पीठ) थी । ]
कुब्जा – प्रभु, मे बहुत ही कदरुपी हु ईसलीये मुजसे कोई विवाह ही नही करता, और नाही कोई प्रेम करता है । तो मे अपनी वासना केसे पुरी करु ?
श्री कृष्ण – तुम्हे तुम्हारे सखा, नजदिकी संबंधी गोत्र को अपनी बात कह के संभोग के लिये राजी करना चाहीये । और एक नर को नारी की वासना शुध्धभाव से तृप्त करनी चाहिये । और जब कोई भी रास्ता ना हो तभी तुम्हे हस्तमैथुन और कंदमैथुन से अपनी वासना शांत करनी चाहीये ।

                 फिर स्वंय श्री कृष्ण कुब्जा की वासनाततृप्ती के लिये उसके साथ संभोग करते है । और श्री कृष्ण भगवान कुब्जा को अतिसुंदर बना देते है और उसकी पीठ से खुंधे (कूबडे) भी दुर कर देते है । ‘कृष्णः पुर्ण पुरुषोतम परमेश्र्वर’ मे यह प्रसंग का बहुत हि श्रुंगारीक और उत्तेजक वर्णन है । कृष्ण ने कुब्जा के देह का जो वर्णन कीया है , अदभुत है । यदी कीसीको वायग्रा लेनी पडती हो और वोह यह पढे तो उसे वायेग्रा की कोई जरुरत ही ना पडे उतना अदभुत वर्णन है । श्री कृष्ण गोकुल की कहि सारी गोपीयों के साथ मैथुनरास रचाते थे जीसमे से कही शादिसुध्धा और कही कुवारीका थी । भगवद गीता मे भी लिखा है की शुध्ध भाव से किया गया संभोग पुर्णःत पवित्र है । “देहवासनाय अतृप्तीः इति आत्महिंसाः पापाय समः॥” यह भगवद गीता का हि वाक्य है, अर्थाथ देहवासना को अतृप्त रखना आत्महिंसा की तरह एक हिंसा और पाप है । भगवद गीता मे यह भी लिखा गया है की अशुध्ध मन से, विकार से, बलजबरी से, हिंसा से किया गया संभोग पाप है ।

३.  
                                                                           यह प्रसंग महाभारत का है । हस्तिनापुर नरेश पांडु को आदिपर्व का कोई पुरुष सह ना सके एसा श्राप मिला था, मैथुनरत हिरनयुगल पे तीर चलाने के लीये । नये आनंद के लिये हिरन का रुप धारण करके अपनी प्रिया संग संभोग की मजा माणते ऋषीकुमार ने मरते मरते पांडुराजा को स्पष्ट कहा की “मैथुन के आनंद मे रत युगल पर तीर चलानेवाले नीच, अधम शासक, तेरे मे संवेदना, समज और सौजन्य हि नहि है । इसलीये तु कामातुर होके कीसी भी स्त्री को स्पर्श करेगा तो भी तेरा मृत्यु होगा- और परम सुख की क्षण मे हमारी जोडी को खंडीत किया उसी तरह तेरा युगल भी खंडीत होगा ।” यानी प्राचीन समय मे जाहेर मे मैथुनरत युगल को खलेल पहुचाना, परेशान करना, हानि पहुचाना आदी पाप माना जाता था ।


सारांश :-
                        There is nothing wrong in sex, whatever that it done before marriage and with more than one person . You can enjoy your self with better care . Do whatever you want, but with CARE. Its Better to Prefere SAFE SEX than NO SEX. In today’s hypocritical (दंभी) society, You have to do right & true things hiddenly . Do but don’t let know anybody .

Direct Shot –

 Virginity is lack of Opportunity, not dignity !
(कोमार्य तक का अभाव है , गरिमा या प्रतिष्ठा नहि है ।)
लेखक
 निकुंज वानाणी
( अलगारी “पागल” )

नोंधः-

यदि किसीकि धार्मिक लागणी को दुःख पहुचा हो तो लेखक तहेदिल से क्षमा चाहता है । यहा जो भी लिखा गया है वो प्राचीन ग्रंथो का उडाण पुर्वक अभ्यास करने के बाद लिखा गया है फिर भी यह कोई गालती हुई हो या कीसिकी धार्मिक मान्यताओ को हानि हुइ हो तो हम क्षमा चाहते है ।